प्रस्तावना : दसवीीं कक्षा तक ह ींदी का अध्ययन करने वाला हिक्षार्थी समझते हुए पढ़ने व सुनने के सार्थ-सार्थ ह ींदी में सोचने और उसे मौखिक एवीं हलखित रूप में व्यक्त कर पाने की सामान्य दक्षता अहजित कर चुका ोता ै। उच्चतर माध्यहमक स्तर पर आने के बाद इन सभी दक्षताओीं को सामान्य से ऊपर उस स्तर तक ले जाने की आवश्यकता ोती ै, ज ााँ भाषा का प्रयोग हभन्न-हभन्न व्यव ार-क्षेत्ोीं की माींगोीं के अनुरूप हकया जा सके । आधार पाठ्यक्रम, साह खिक बोध के सार्थ-सार्थ भाषाई दक्षता के हवकास को ज्यादा म त्त्व देता ै। य पाठ्यक्रम उन हिक्षाहर्थियोीं के हलए उपयोगी साहबत ोगा, जो आगे हवश्वहवद्यालय में अध्ययन करते हुए ह ींदी को एक हवषय के रूप में पढ़ेंगे या हवज्ञान/सामाहजक हवज्ञान के हकसी हवषय को ह ींदी माध्यम से पढ़ना चा ेंगे। य उनके हलए भी उपयोगी साहबत ोगा, जो उच्चतर माध्यहमक स्तर की हिक्षा के बाद हकसी तर के रोजगार में लग जाएीं गे। व ााँ कामकाजी ह ींदी का आधारभूत अध्ययन काम आएगा। हजन हिक्षाहर्थियोीं की रुहच जनसींचार माध्यमोीं में ोगी, उनके हलए य पाठ्यक्रम एक आरींहभक पृष्ठभूहम हनहमित करेगा। इसके सार्थ ी य पाठ्यक्रम सामान्य रूप से तर -तर के साह ि के सार्थ हिक्षाहर्थियोीं के सींबींध को स ज बनाएगा। हिक्षार्थी भाहषक अहभव्यखक्त के सूक्ष्म एवीं जहिल रूपोीं से पररहचत ो सकें गे। वे यर्थार्थि को अपने हवचारोीं में व्यवखथर्थत करने के साधन के तौर पर भाषा का अहधक सार्थिक उपयोग कर पाएाँ गे और उनमें जीवन के प्रहत मानवीय सींवेदना एवीं सम्यक् दृहि का हवकास ो सके गा। रािरीय पाठ्यचयािकी रूपरेिा, नई हिक्षा नीहत 2020 तर्था कें द्रीय माध्यहमक हिक्षा बोर्िद्वारा समय-समय पर दक्षता आधाररत हिक्षा, कला समेहकत अहधगम, अनुभवात्मक अहधगम को अपनानेकी प्रेरणा दी गई ैजो हिक्षाहर्थियोीं की प्रहतभा को उजागर करने, िेल-िेल मेंसीिनेपर बल देने,आनींदपूणिज्ञानाजिन और हवद्याजिन के हवहवध तरीकोींको अपनानेतर्था अनुभव के द्वारा सीिनेपर बल देती ै। दक्षता आधाररत हिक्षा सेतात्पयि ैसीिनेऔर मूल्ाींकन करनेका एक ऐसा दृहिकोण जो हिक्षार्थी के सीिने के प्रहतफल और हवषय मेंहविेष दक्षता को प्राप्त करनेपर बल देता ै। दक्षता व क्षमता, कौिल, ज्ञान और दृहिकोण ैजो व्यखक्त को वास्तहवक जीवन मेंकायिकरनेमेंस ायता करता ै। इससेहिक्षार्थी य सीि सकते ैंहक ज्ञान और कौिल को हकस प्रकार प्राप्त हकया जाए तर्था उन्हेंवास्तहवक जीवन की समस्याओीं पर कै से लागूहकया जाए। प्रिेक हवषय, प्रिेक पाठ को जीवनोपयोगी बनाकर प्रयोग मेंलाना ी दक्षता आधाररत हिक्षा ै। इसके हलए उच्च स्तरीय हचींतन कौिल पर हविेष बल देनेकी आवश्यकता ै। कला समेहकत अहधगम को हिक्षण-अहधगम प्रहक्रया मेंसुहनहित करना अिहधक आवश्यक ै। कला के सींसार मेंकल्पना की एक अलग ी उडान ोती ै। कला एक व्यखक्त की रचनात्मक अहभव्यखक्त ै। कला समेहकत अहधगम सेतात्पयि ैकला के हवहवध रूपोीं सींगीत, नृि, नािक, कहवता, रींगिाला, यात्ा, मूहतिकला, आभूषण बनाना, गीत हलिना, नुक्कड नािक, कोलाज, पोस्टर, कला प्रदििनी को हिक्षण अहधगम की प्रहक्रया का अहभन्न ह स्सा बनाना। हकसी हवषय को आरींभ करनेके हलए आइस ब्रेहकीं ग गहतहवहध के रूप मेंतर्था सामींजस्यपूणि समझ पैदा करनेके हलए अींतरहवषयक या बहुहवषयक पररयोजनाओीं के रूप मेंकला समेहकत अहधगम का प्रयोग हकया जाना चाह ए। इससेपाठ अहधक रोचक एवीं ग्राह्य ो जाएगा। अनुभवात्मक अहधगम या आनुभहवक ज्ञानाजिन का उद्देश्य िैहक्षक वातावरण को हिक्षार्थी कें हद्रत बनानेके सार्थसार्थ स्वयीं मूल्ाींकन करने, आलोचनात्मक रूप सेसोचने, हनणिय लेनेतर्था ज्ञान का हनमािण कर उसमेंपारींगत ोनेसे ै। य ााँ हिक्षक की भूहमका मागिदििक की र ती ै। ज्ञानाजिन अनुभव स योगात्मक अर्थवा स्वतींत् ोता ैऔर य हिक्षार्थी को एक सार्थ कायिकरनेतर्था स्वयीं के अनुभव द्वारा सीिनेपर बल देता ै। य हसद्ाींत और व्यव ार के बीच की दू री को कम करता ैI

इस पाठ्यक्रम के अध्ययन से: 1. हिक्षार्थी अपनी रुहच और आवश्यकता के अनुरूप साह ि का ग न और हविेष अध्ययन जारी रि सकें गे। 2. हवश्वहवद्यालय स्तर पर हनधािररत ह ींदी-साह ि से सींबींहधत पाठ्यक्रम के सार्थ स ज सींबींध थर्थाहपत कर सकें गे। 3. लेिन-कौिल के व्याव ाररक और सृजनात्मक रूपोीं की अहभव्यखक्त में सक्षम ो सकें गे। 4. रोज़गार के हकसी भी क्षेत् में जाने पर भाषा का प्रयोग प्रभावी ढींग से कर सकें गे। 5. य पाठ्यक्रम हिक्षार्थी को जनसींचार तर्था प्रकािन जैसे हवहभन्न-क्षेत्ोीं में अपनी क्षमता व्यक्त करने का अवसर प्रदान कर सकता ै। 6. हिक्षार्थी दो हभन्न पाठोीं की पाठ्यवस्तुपर हचींतन करके उनके मध्य की सींबद्ता पर अपनेहवचार अहभव्यक्त करनेमेंसक्षम ो सकें गे। 7. हिक्षार्थी रिे-रिाए वाक्ोींके थर्थान पर अहभव्यखक्तपरक/ खथर्थहत आधाररत/ उच्च हचींतन क्षमता प्रश्ोींपर स जता से अपनेहवचार प्रकि कर सकें गे।

उद्देश्य : ● सींप्रेषण के माध्यम और हवधाओीं के हलए उपयुक्त भाषा प्रयोग की इतनी क्षमता उनमें आ चुकी ोगी हक वे स्वयीं इससे जुडे उच्चतर पाठ्यक्रमोीं को समझ सकें गे। ● भाषा के अींदर सहक्रय सत्ता सींबींध की समझ। ● सृजनात्मक साह ि की समझ और आलोचनात्मक दृहि का हवकास। ● हिक्षाहर्थियोीं के भीतर सभी प्रकार की हवहवधताओीं (धमि, जाहत, हलींग, क्षेत् एवीं भाषा सींबींधी) के प्रहत सकारात्मक एवीं हववेकपूणि रवैये का हवकास। ● पठन-सामग्री को हभन्न-हभन्न कोणोीं से अलग-अलग सामाहजक, साींस्कृ हतक हचींताओीं के पररप्रेक्ष्य में देिने का अभ्यास करवाना तर्था आलोचनात्मक दृहि का हवकास करना। ● हिक्षार्थी में स्तरीय साह ि की समझ और उसका आनींद उठाने की क्षमता तर्था साह ि को श्रेष्ठ बनाने वाले तत्ोीं की सींवेदना का हवकास। ● हवहभन्न ज्ञानानुिासनोीं के हवमिि की भाषा के रूप में ह ींदी की हवहिि प्रकृ हत और उसकी क्षमताओीं का बोध। ● कामकाजी ह ींदी के उपयोग के कौिल का हवकास। ● जनसींचार माध्यमोीं (हप्रींि और इलेक्ट्र ॉहनक) में प्रयुक्त ह ींदी की प्रकृ हत से पररचय और इन माध्यमोीं की आवश्यकता के अनुरूप मौखिक एवीं हलखित अहभव्यखक्त का हवकास। ● हिक्षार्थी में हकसी भी अपररहचत हवषय से सींबींहधत प्रासींहगक जानकारी के स्रोतोीं का अनुसींधान और व्यवखथर्थत ढींग से उनकी मौखिक और हलखित प्रस्तुहत की क्षमता का हवकास। हिक्षण-युक्तियााँ ● कु छ बातें इस स्तर पर ह ींदी हिक्षण के लक्ष्योीं के सींदभि में सामान्य रूप से क ी जा सकती ैं। एक तो य ै हक कक्षा में दबाव एवीं तनाव मुक्त मा ौल ोने की खथर्थहत में ी ये लक्ष्य ाहसल हकए जा सकते ैं। चूाँहक इस पाठ्यक्रम में तैयारिुदा उत्तरोीं को कीं ठथर्थ कर लेने की कोई अपेक्षा न ीीं ै, इसहलए हवषय को समझने और उस समझ के आधार पर उत्तर को िब्दबद् करने की योग्यता हवकहसत करना ी हिक्षक का काम ै। इस योग्यता के हवकास के हलए कक्षा में हिक्षाहर्थियोींऔर हिहक्षका के बीच हनबािध

सींवाद जरूरी ै। हिक्षार्थी अपनी िींकाओीं और उलझनोीं को हजतना ी अहधक व्यक्त करेंगे, उतनी ी ज़्यादा स्पिता उनमें आ पाएगी। ● भाषा की कक्षा से समाज में मौजूद हवहभन्न प्रकार के द्वींद्वोीं पर बातचीत का मींच बनाना चाह ए। उदा रण के हलए सींहवधान में हकसी िब्द हविेष के प्रयोग पर हनषेध को चचाि का हवषय बनाया जा सकता ै। य समझ जरूरी ै हक हिक्षाहर्थियोीं को हसफि सकारात्मक पाठ देने से काम न ीीं चलेगा बखि उन्हें समझाकर भाहषक यर्थार्थि का सीधे सामना करवाने वाले पाठोीं से पररचय ोना जरूरी ै। ● िींकाओीं और उलझनोीं को रिने के अलावा भी कक्षा में हिक्षाहर्थियोीं को अहधक-से-अहधक बोलने के हलए प्रेररत हकया जाना जरूरी ै। उन्हें य अ सास कराया जाना चाह ए हक वे पहठत सामग्री पर राय देने का अहधकार और ज्ञान रिते ैं। उनकी राय को प्रार्थहमकता देने और उसे बे तर तरीके से पुनः प्रस्तुत करने की अध्यापकीय िैली य ााँ बहुत उपयोगी ोगी। ● हिक्षाहर्थियोीं को सींवाद में िाहमल करने के हलए य भी जरूरी ोगा हक उन्हें एक नाम ीन समू न मानकर अलग-अलग व्यखक्तयोीं के रूप में अ हमयत दी जाए। हिक्षकोीं को अक्सर एक कु िल सींयोजक की भूहमका में स्वयीं देिना ोगा, जो हकसी भी इच्छु क व्यखक्त को सींवाद का भागीदार बनने से वींहचत न ीीं रिते, उसके कच्चे-पक्के वक्तव्य को मानक भाषा-िैली में ढाल कर उसे एक आभा दे देते ैं और मौन को अहभव्यींजना मान बैठे लोगोीं को मुिर ोने पर बाध्य कर देते ैं। ● अप्रिाहित हवषयोीं पर हचींतन तर्था उसकी मौखिक व हलखित अहभव्यखक्त की योग्यता का हवकास हिक्षकोीं के सचेत प्रयास से ी सींभव ै। इसके हलए हिक्षकोीं को एक हनहित अींतराल पर नए-नए हवषय प्रस्ताहवत कर उन पर हलिने तर्था सींभाषण करने के हलए पूरी कक्षा को प्रेररत करना ोगा। य अभ्यास ऐसा ै, हजसमें हवषयोीं की कोई सीमा तय न ीीं की जा सकती। हवषय की असीम सींभावना के बीच हिक्षक य सुहनहित कर सकते ैं हक उसके हिक्षार्थी हकसी हनबींध-सींकलन या कुीं जी से तैयारिुदा सामग्री को उतार भर न ले। तैयार िुदा सामग्री के लोभ से, बाध्यतावि ी स ी मुखक्त पाकर हिक्षार्थी नये तरीके से सोचने और उसे िब्दबद् करने के हलए तैयार ोींगे। मौखिक अहभव्यखक्त पर भी हविेष ध्यान देने की जरूरत ै, क्ोींहक भहवष्य में साक्षात्कार, सींगोष्ठी जैसे मौकोीं पर य ी योग्यता हिक्षार्थी के काम आती ै। इसके अभ्यास के हसलहसले में हिक्षकोीं को उहचत ावभाव, मानक उच्चारण, पॉज, बलाघात, ाहजरजवाबी इिाहद पर िास बल देना ोगा। ● काव्य की भाषा के ममि से हिक्षार्थी का पररचय कराने के हलए जरूरी ोगा हक हकताबोीं में आए काव्याींिोीं की लयबद् प्रस्तुहतयोीं के ऑहर्यो-वीहर्यो कै सेि तैयार हकए जाएाँ । अगर आसानी से कोई गायक/गाहयका हमले तो कक्षा में मध्यकालीन साह ि के हिक्षण में उससे मदद ली जानी चाह ए। ● एन सी ई आर िी, हिक्षा मींत्ालय के हवहभन्न सींगठनोीं तर्था स्वतींत् हनमािताओीं द्वारा उपलब्ध कराए गए कायिक्रम/ ई-सामग्री, वृत्तहचत्ोीं और हसनेमा को हिक्षण सामग्री के तौर पर इस्तेमाल करने की जरूरत ै। इनके प्रदििन के क्रम में इन पर लगातार बातचीत के जररए हसनेमा के माध्यम से भाषा के प्रयोग की हवहििता की प चान कराई जा सकती ै और ह ींदी की अलग-अलग छिा हदिाई जा सकती ै। हिक्षाहर्थियोींको स्तरीय परीक्षा करने को भी क ा जा सकता ै। ● कक्षा में हसफि एक पाठ्यपुस्तक की उपखथर्थहत से बे तर य ै हक हिक्षक के ार्थ में तर -तर की पाठ्यसामग्री को हिक्षार्थी देि सकें और हिक्षक उनका कक्षा में अलग-अलग मौकोीं पर इस्तेमाल कर सके । ● भाषा लगातार ग्र ण करने की हक्रया में बनती ै, इसे प्रदहिित करने का एक तरीका य भी ै हक हिक्षक िुद य हसिा सकें हक वे भी िब्दकोि, साह िकोि, सींदभिग्रींर्थ की लगातार मदद ले र े ैं। इससे हिक्षाहर्थियोींमें इसका इस्तेमाल करने को लेकर तत्परता बढ़ेगी। अनुमान के आधार पर हनकितम अर्थि तक पहुाँचकर सींतुि ोने की जग वे स ी अर्थिकी िोज करने के हलए प्रेररत ोींगे। इससे िब्दोीं की अलग-अलग रींगत का पता चलेगा और उनमें सींवेदनिीलता बढ़ेगी। वे िब्दोीं के बारीक अींतर के प्रहत और सजग ो पाएाँ गे।

कक्षा-अध्यापन के पूरक कायि के रूप में सेहमनार, ट्यूिोररयल कायि, समस्या-समाधान कायि, समू चचाि, पररयोजनाकायि, स्वाध्याय आहद पर बल हदया जाना चाह ए। पाठ्यक्रम में जनसींचार माध्यमोीं से सींबींहधत अींिोीं को देिते हुए य जरूरी ै हक समय-समय पर इन माध्यमोीं से जुडे व्यखक्तयोीं और हविेषज्ञोीं को भी हवद्यालय में बुलाया जाए तर्था उनकी देि-रेि में कायििालाएाँ आयोहजत की जाएीं । ● हभन्न क्षमता वाले हिक्षाहर्थियोींके हलए उपयुक्त हिक्षण सामग्री का इस्तेमाल हकया जाए तर्था उन्हें हकसी भी प्रकार से अन्य हिक्षाहर्थियोींसे कमतर या अलग न समझा जाए। ● कक्षा में हिक्षक को र प्रकार की हवहवधताओीं (हलींग जाहत, धमि, वगि आहद) के प्रहत सकारात्मक और सींवेदनिील वातावरण हनहमित करना चाह ए।

श्रवण तथा वाचन परीक्षा ेतु हदिा-हनदेि श्रवण (सुनना) (5 अिंक) : वहणित या पहठत सामग्री को सुनकर अर्थिग्र ण करना, वातािलाप करना, वाद-हववाद, भाषण, कहवतापाठ आहद को सुनकर समझना, मूल्ाींकन करना और अहभव्यखक्त के ढींग को समझना। वाचन (बोलना) (5 अिंक): भाषण, सस्वर कहवता-पाठ, वातािलाप और उसकी औपचाररकता, कायिक्रम-प्रस्तुहत, कर्था-क ानी अर्थवा घिना सुनाना, पररचय देना, भावानुकू ल सींवाद-वाचन। हिप्पणी: वातािलाप की दक्षताओीं का मूल्ाींकन हनरींतरता के आधार पर परीक्षा के समय ी ोगा। हनधािररत 10 अींकोीं में से 5 श्रवण (सुनना) कौिल के मूल्ाींकन के हलए और 5 वाचन (बोलना) कौिल के मूल्ाींकन के हलए ोींगे। वाचन (बोलना) एविं श्रवण (सुनना) कौिल का मूल्ािंकन: ● परीक्षक हकसी प्रासींहगक हवषय पर एक अनुच्छे द का स्पि वाचन करेगा। अनुच्छे द तथ्यात्मक या सुझावात्मक ो सकता ै। अनुच्छे द लगभग 250 िब्दोीं का ोना चाह ए। या परीक्षक 2-3 हमनि का श्रव्य अींि (ऑहर्यो खिप) सुनवाएगा। अींि रोचक ोना चाह ए। कथ्य /घिना पूणि एवीं स्पि ोनी चाह ए। वाचक का उच्चारण िुद्, स्पि एवीं हवराम हचह्ोीं के उहचत प्रयोग सह त ोना चाह ए। ● परीक्षार्थी ध्यानपूविक परीक्षक/ऑहर्यो खिप को सुनने के पिात परीक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्ोीं का अपनी समझ से मौखिक उत्तर देंगे। (1×5 =5) ● हकसी हनधािररत हवषय पर बोलना : हजससे हिक्षार्थी अपने व्यखक्तगत अनुभवोीं का प्रिास्मरण कर सकें । ● कोई क ानी सुनाना या हकसी घिना का वणिन करना। ● पररचय देना। (स्व/ पररवार/ वातावरण/ वस्तु/ व्यखक्त/ पयािवरण/ कहव /लेिक आहद)

पररयोजना का म त्व ● व्यखक्तगत स्तर पर िोज, कायिवा ी और ग्यार वीीं- बार वीींकक्षा के दौरान अहजित ज्ञान और कौिल, हवचारोींआहद पर हचींतन का उपयोग । ● सैद्ाींहतक हनमािणोीं और तकों का उपयोग करके वास्तहवक दुहनया के पररदृश्योीं का हवश्लेषण और मूल्ाींकन ● एक स्वतींत् और हवस्ताररत कायिका हनमािण करनेके हलए म त्पूणिऔर रचनात्मक हचींतन, कौिल और क्षमताओीं के अनुप्रयोग का प्रदििन ● उन हवषयोींपर कायिकरनेका अवसर हजनमेंहिक्षाहर्थियोींकी रुहच ैI ● नए ज्ञान की ओर अग्रसर ● िोजी प्रवृहत्त मेंवृखद् ● भाषा ज्ञान समृद् एवीं व्याव ाररक ● समस्या समाधान की क्षमता का हवकास पररयोजना काययहनधायररत करतेसमय ध्यान देनेयोग्य बातें ● पररयोजना कायिहिक्षाहर्थियोींमेंयोग्यता आधाररत क्षमता को ध्यान मेंरिकर हदए जाएाँहजससेवेहवषय के सार्थ जुडतेहुए उसके व्याव ाररक पक्ष को समझ सकें । वतिमान समय मेंउसकी प्रासींहगकता पर भी ध्यान हदया जाए। ● सत् के प्रारम्भ में ी हिक्षाहर्थियोींको हवषय चुननेका अवसर हमलेताहक उसेिोध, तैयारी और लेिन के हलए पयािप्त समय हमल सके । ● अध्याहपका/अध्यापक द्वारा कक्षा मेंपररयोजना-कायि को लेकर हवस्तारपूविक चचाि की जाए हजससे हिक्षार्थी उसके अर्थि, म त् व प्रहक्रया को भली-भााँहत समझनेमेंसक्षम ो सकें। ● ह ींदी भाषा और साह ि सेजुडे। हवहवध हवषयोीं/ हवधाओीं/ साह िकारोीं/ समकालीन लेिन/ भाषा के तकनीकी पक्ष/ प्रभाव/ अनुप्रयोग/ साह ि के सामाहजक सींदभों एवीं जीवन-मूल् सींबींधी प्रभावोींआहद पर पररयोजना कायिहदए जानेचाह ए। ● हिक्षार्थी को उसकी रुहच के अनुसार हवषय का चयन करनेके छू ि दी जानी चाह ए तर्था अध्यापक/ अध्याहपका को मागिदििक के रूप मेंउसकी स ायता करनी चाह ए। ● पररयोजना – कायिकरतेसमय हनम्नहलखित आधार को अपनाया जा सकता ै- 1. प्रमाण – पत् 2. आभार ज्ञापन 3. हवषय-सूची 4. उद्देश्य 5. समस्या का बयान 6. पररकल्पना 7. प्रहक्रया (साक्ष्य सींग्र , साक्ष्य का हवश्लेषण) 8. प्रस्तुतीकरण (हवषय का हवस्तार) 9. अध्ययन का पररणाम 10. अध्ययन की सीमाएाँ 11. स्रोत 12. अध्यापक हिप्पणी ● पररयोजना – कायिमेंिोध के दौरान सखिहलत हकए गए हचत्ोींऔर सींदभों केहवषय मेंउहचत जानकारी दी जानी चाह ए। उनके स्त्रोत को अवश्य अींहकत करना चाह ए। ● हचत्, रेिाहचत्, हवज्ञापन, ग्राफ, हवषय सेसींबींहधत आाँकडे, हवषय सेसींबींहधत समाचार की कतरनेंएकहत्त के जानी चाह ए। ● प्रमाणस्वरूप सखिहलत हकए गए आाँकडे, हचत्, हवज्ञापन आहद के स्त्रोत अींहकत करनेके सार्थ-सार्थ समाचार-पत्, पहत्काओीं के नाम एवीं हदनाींक भी हलिनेचाह ए। ● साह िकोि, सींदभि-ग्रींर्थ, िब्दकोि की स ायता लेनी चाह ए। ● पररयोजना-कायिमेंहिक्षाहर्थियोीं के हलए अनेक सींभावनाएाँ ैं। उनके व्यखक्तगत हवचार तर्था उनकी कल्पना के हवस्तृत सींसार को अवश्य सखिहलत हकया जाए।