दƗता आधाįरत िशƗा से ताȋयŊ है सीखने और मूʞांकन करने का एक ऐसा ̊िʼकोण जो िशƗाथŎ के

सीखने के Ůितफल और िवषय मŐ िवशेष दƗता को Ůाɑ करने पर बल देता है। दƗता वह Ɨमता, कौशल,

ǒान और ̊िʼकोण है जो ʩİƅ को वाˑिवक जीवन मŐकायŊ करने मŐ सहायता करती है। इससे िशƗाथŎ यह

सीख सकते हœ िक ǒान और कौशल को िकस Ůकार Ůाɑ िकया जाए तथा उɎŐवाˑिवक जीवन की

सम˟ाओं पर कै से लागू िकया जाए। Ůȑेक िवषय, Ůȑेक पाठ को जीवनोपयोगी बनाकर Ůयोग मŐ लाना ही

दƗता आधाįरत िशƗा है। इसके िलए उDŽ ˑरीय िचंतन कौशल पर िवशेष बल देने की आवʴकता है।

कला समेिकत अिधगम को िशƗण-अिधगम ŮिŢया मŐसुिनिʮत करना अȑिधक आवʴक है। कला के

संसार मŐकʙना की एक अलग ही उड़ान होती है। कला एक ʩİƅ की रचनाȏक अिभʩİƅ है। कला

समेिकत अिधगम से ताȋयŊ है कला के िविवध ŝपों यथा संगीत, नृȑ, नाटक, किवता, रंगशाला, याũा,

मूितŊकला, आभूषण बनाना, गीत िलखना, नुſड़ नाटक, कोलाज, पोːर, कला ŮदशŊनी को िशƗण अिधगम

की ŮिŢया का अिभɄ िहˣा बनाना। िकसी िवषय को आरंभ करने के िलए आइस Űेिकं ग गितिविध के ŝप

मŐ तथा सामंज˟पूणŊ समझ पैदा करने के िलए अंतरिवषयक या बŠिवषयक पįरयोजनाओं के ŝप मŐ कला

समेिकत अिधगम का Ůयोग िकया जाना चािहए। इससे पाठ अिधक रोचक एवं Ťा˨ हो जाएगा।

अनुभवाȏक अिधगम या आनुभिवक ǒानाजŊन का उȞेʴ शैिƗक वातावरण को िशƗाथŎ कŐिūत बनाने के

साथ-साथ ˢयं मूʞांकन करने, आलोचनाȏक ŝप से सोचने, िनणŊय लेने तथा ǒान का िनमाŊण कर उसमŐ

पारंगत होने से है। यहाँ िशƗक की भूिमका मागŊदशŊक की रहती है। ǒानाजŊन अनुभव सहयोगाȏक अथवा

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ˢतंũ होता है और यह िशƗाथŎ को एक साथ कायŊ करने तथा ˢयं के अनुभव Ȫारा सीखने पर बल देता है।

यह िसȠांत और ʩवहार के बीच की दू री को कम करता हैI

इस पाǬŢम के अȯयन से:

1. िशƗाथŎ अपनी Ŝिच और आवʴकता के अनुŝप सािहȑ का गहन और िवशेष अȯयन जारी रख

सकŐगे।

2. िवʷिवȨालय ˑर पर िनधाŊįरत िहंदी-सािहȑ से संबंिधत पाǬŢम के साथ सहज संबंध ̾थािपत कर

सकŐगे।

3. लेखन-कौशल के ʩावहाįरक और सृजनाȏक ŝपोंकी अिभʩİƅ मŐ सƗम हो सकŐगे।

4. रोज़गार के िकसी भी Ɨेũ मŐ जाने पर भाषा का Ůयोग Ůभावी ढंग से कर सकŐगे।

5. यह पाǬŢम िशƗाथŎ को जनसंचार तथा Ůकाशन जैसे िविभɄ-Ɨेũों मŐ अपनी Ɨमता ʩƅ करने

का अवसर Ůदान कर सकता है।

6. िशƗाथŎ दो िभɄ पाठों की पाǬवˑु पर िचंतन करके उनके मȯ की संबȠता पर अपने िवचार

अिभʩƅ करने मŐसƗम हो सकŐगे।

7. िशƗाथŎ रटे-रटाए वाƐों के ̾थान पर अिभʩİƅपरक/ İ̾थित आधाįरत/ उDŽ िचंतन Ɨमता के Ůʲों

पर सहजता से अपने िवचार Ůकट कर सकŐगे।

उȞेʴ :

● संŮेषण के माȯम और िवधाओं के िलए उपयुƅ भाषा Ůयोग की इतनी Ɨमता उनमŐ आ चुकी होगी

िक वे ˢयं इससे जुड़े उDŽतर पाǬŢमोंको समझ सकŐगे।

● भाषा के अंदर सिŢय सȅा संबंध की समझ।

● सृजनाȏक सािहȑ की समझ और आलोचनाȏक ̊िʼ का िवकास।

● िशƗािथŊयों के भीतर सभी Ůकार की िविवधताओं (धमŊ, जाित, िलंग, Ɨेũ एवं भाषा संबंधी) के Ůित

सकाराȏक एवं िववेकपूणŊ रवैये का िवकास।

● पठन-सामŤी को िभɄ-िभɄ कोणों सेअलग-अलग सामािजक, सांˋृितक िचंताओं के पįरŮेƙ मŐ

देखने का अɷास करवाना तथा आलोचनाȏक ̊िʼ का िवकास करना।

● िशƗाथŎ मŐˑरीय सािहȑ की समझ और उसका आनंद उठाने की Ɨमता तथा सािहȑ को ŵेʿ

बनाने वाले तȕोंकी संवेदना का िवकास।

● िविभɄ ǒानानुशासनोंके िवमशŊ की भाषा के ŝप मŐ िहंदी की िविशʼ Ůकृ ित और उसकी Ɨमताओं

का बोध।

● कामकाजी िहंदी के उपयोग के कौशल का िवकास।

● जनसंचार माȯमों(िŮंट और इलेƃŌॉिनक) मŐŮयुƅ िहंदी की Ůकृ ित से पįरचय और इन माȯमोंकी

आवʴकता के अनुŝप मौİखक एवं िलİखत अिभʩİƅ का िवकास।

● िशƗाथŎ मŐ िकसी भी अपįरिचत िवषय से संबंिधत Ůासंिगक जानकारी के ŷोतों का अनुसंधान और

ʩवİ̾थत ढंग से उनकी मौİखक और िलİखत Ůˑुित की Ɨमता का िवकास।

िशƗण-युİƅयाँ

● कु छ बातŐ इस ˑर पर िहंदी िशƗण के लƙोंके संदभŊ मŐ सामाɊ ŝप से कही जा सकती हœ। एक तो

यह है िक कƗा मŐ दबाव एवं तनाव मुƅ माहौल होने की İ̾थित मŐ ये लƙ हािसल िकए जा सकते

हœ। चूँिक इस पाǬŢम मŐ तैयारशुदा उȅरों को कं ठ̾थ कर लेने की कोई अपेƗा नहीं है, इसिलए

िवषय को समझने और उस समझ के आधार पर उȅर को शɨबȠ करने की योƶता िवकिसत

करना िशƗक का काम है। इस योƶता के िवकास के िलए कƗा मŐ िशƗािथŊयों और िशिƗका के

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बीच िनबाŊध संवाद जŝरी है। िशƗाथŎ अपनी शंकाओं और उलझनोंको िजतना अिधक ʩƅ करŐगे,

उनमे उतनी ˙ʼता आ पाएगी।

● भाषा की कƗा से समाज मŐ मौजूद िविभɄ Ůकार के ȪंȪों पर बातचीत का मंच बनाना चािहए।

उदाहरण के िलए संिवधान मŐ िकसी शɨ िवशेष के Ůयोग पर िनषेध को चचाŊ का िवषय बनाया जा

सकता है। यह समझ ज़ŝरी है िक िशƗािथŊयों को िसफ़Ŋ सकाराȏक पाठ देनेसेकाम नहींचलेगा

बİʋ उɎŐ समझाकर भािषक यथाथŊका सीधेसामना करवानेवालेपाठोंसेपįरचय होना जŝरी है।

● शंकाओं और उलझनों को रखनेके अलावा भी कƗा मŐ िशƗािथŊयों को अिधक-से-अिधक बोलने के

िलए Ůेįरत िकया जाना जŝरी है। उɎŐ यह अहसास कराया जाना चािहए िक वे पिठत सामŤी पर

राय देने का अिधकार और ǒान रखते हœ। उनकी राय को Ůाथिमकता देने और उसे बेहतर तरीके से

पुनः Ůˑुत करने की अȯापकीय शैली यहाँ बŠत उपयोगी होगी।

● िशƗािथŊयों को संवाद मŐ शािमल करने के िलए यह ज़ŝरी होगा िक उɎŐ एक नामहीन समूह न

मानकर अलग-अलग ʩİƅयों के ŝप मŐ अहिमयत दी जाए। िशƗकों को अƛर एक कु शल

संयोजक की भूिमका मŐˢयं देखना होगा, जो िकसी भी इDžु क ʩİƅ को संवाद का भागीदार बनने

सेवंिचत नहींरखते, उसके कDŽे-पſे वƅʩ को मानक भाषा-शैली मŐ ढाल कर उसे एक आभा दे

देते हœ और मौन को अिभʩंजना मान बैठेलोगोंको मुखर होनेपर बाȯ कर देते हœ।

● अŮȑािशत िवषयों पर िचंतन तथा उसकी मौİखक व िलİखत अिभʩİƅ की योƶता का िवकास

िशƗकों के सचेत Ůयास से ही संभव है। इसके िलए िशƗकों को एक िनिʮत अंतराल पर नए-नए

िवषय Ůˑािवत कर उन पर िलखने तथा संभाषण करने के िलए पूरी कƗा को Ůेįरत करना होगा।

यह अɷास ऐसा है, िजसमŐिवषयों की कोई सीमा तय नहीं की जा सकती। िवषय की असीम

संभावना के बीच िशƗक यह सुिनिʮत कर सकते हœ िक उसके िशƗाथŎ िकसी िनबंध-संकलन या

कुं जी से तैयारशुदा सामŤी उतार भर न ले। तैयार शुदा सामŤी के लोभ से, बाȯतावश ही सही मुİƅ

पाकर िशƗाथŎ नये तरीके से सोचने और उसे शɨबȠ करने के िलए तैयार होगं े। मौİखक

अिभʩİƅ पर भी िवशेष ȯान देने की ज़ŝरत है, Ɛोिंक भिवˈ मŐ साƗाǽार, संगोʿी जैसेमौकों

पर यही योƶता िशƗाथŎ के काम आती है। इसके अɷास के िसलिसले मŐ िशƗकों को उिचत

हावभाव, मानक उDŽारण, पॉज, बलाघात, हािजरजवाबी इȑािद पर खास बल देना होगा।

● काʩ की भाषा के ममŊ से िशƗाथŎ का पįरचय कराने के िलए ज़ŝरी होगा िक िकताबों मŐ आए

काʩांशों की लयबȠ Ůˑुितयों के ऑिडयो-वीिडयो कै सेट तैयार िकए जाएँ । अगर आसानी से कोई

गायक/गाियका िमले तो कƗा मŐ मȯकालीन सािहȑ के िशƗण मŐ उससे मदद ली जानी चािहए।

● एन सी ई आर टी, िशƗा मंũालय के िविभɄ संगठनों तथा ˢतंũ िनमाŊताओं Ȫारा उपलɩ कराए गए

कायŊŢम/ ई-सामŤी, वृȅिचũोंऔर िसनेमा को िशƗण सामŤी के तौर पर इˑेमाल करने की ज़ŝरत

है। इनके ŮदशŊन के Ţम मŐ इन पर लगातार बातचीत के ज़įरए िसनेमा के माȯम से भाषा के Ůयोग

की िविशʼता की पहचान कराई जा सकती है और िहंदी की अलग-अलग छटा िदखाई जा सकती है।

िशƗािथŊयोंको ˑरीय परीƗा करने को भी कहा जा सकता है।

● कƗा मŐ िसफ़Ŋ एक पाǬपुˑक की उपİ̾थित से बेहतर यह है िक िशƗक के हाथ मŐ तरह-तरह की

पाǬसामŤी को िशƗाथŎ देख सकŐ और िशƗक उनका कƗा मŐ अलग-अलग मौकों पर इˑेमाल

कर सके ।

● भाषा लगातार Ťहण करने की िŢया मŐ बनती है, इसे ŮदिशŊत करने का एक तरीका यह भी है िक

िशƗक खुद यह िसखा सकŐ िक वे भी शɨकोश, सािहȑकोश, संदभŊŤंथ की लगातार मदद ले रहे हœ।

इससे िशƗािथŊयों मŐ इसका इˑेमाल करने को लेकर तȋरता बढ़ेगी। अनुमान के आधार पर

िनकटतम अथŊ तक पŠँचकर संतुʼ होने की जगह वे सही अथŊ की खोज करने के िलए Ůेįरत होगं े।

इससे शɨों की अलग-अलग रंगत का पता चलेगा और उनमŐ संवेदनशीलता बढ़ेगी। वे शɨों के

बारीक अंतर के Ůित और सजग हो पाएँ गे।

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● कƗा-अȯापन के पूरक कायŊ के ŝप मŐ सेिमनार, Ǩूटोįरयल कायŊ, सम˟ा-समाधान कायŊ,

समूहचचाŊ, पįरयोजनाकायŊ, ˢाȯाय आिद पर बल िदया जाना चािहए। पाǬŢम मŐ जनसंचार

माȯमों सेसंबंिधत अंशों को देखतेŠए यह ज़ŝरी है िक समय-समय पर इन माȯमों सेजुड़े

ʩİƅयों और िवशेषǒों को भी िवȨालय मŐ बुलाया जाए तथा उनकी देख-रेख मŐ कायŊशालाएँ

आयोिजत की जाएं ।

● िभɄ Ɨमता वाले िशƗािथŊयोंके िलए उपयुƅ िशƗण सामŤी का इˑेमाल िकया जाए तथा उɎŐ िकसी

भी Ůकार से अɊ िशƗािथŊयों से कमतर या अलग न समझा जाए।

● कƗा मŐ िशƗक को हर Ůकार की िविवधताओं (िलंग जाित, धमŊ, वगŊ आिद) के Ůित सकाराȏक और

संवेदनशील वातावरण िनिमŊत करना चािहए।

ŵवण तथा वाचन परीƗा हेतु िदशा-िनदőश

ŵवण (सुनना) (5 अंक) : विणŊत या पिठत सामŤी को सुनकर अथŊŤहण करना, वाताŊलाप करना, वाद-

िववाद, भाषण, किवता पाठ आिद को सुनकर समझना, मूʞांकन करना और अिभʩİƅ के ढंग को

समझना।

वाचन (बोलना) (5 अंक): भाषण, सˢर किवता-पाठ, वाताŊलाप और उसकी औपचाįरकता, कायŊŢमŮˑुित, कथा-कहानी अथवा घटना सुनाना, पįरचय देना, भावानुकू ल संवाद-वाचन।

िटɔणी: वाताŊलाप की दƗताओं का मूʞांकन िनरंतरता के आधार पर परीƗा के समय ही होगा। िनधाŊįरत

10 अंकोंमŐ से 5 ŵवण (सुनना) कौशल के मूʞांकन के िलए और 5 वाचन (बोलना) कौशल के मूʞांकन के

िलए होगं े।

वाचन (बोलना) एवं ŵवण (सुनना) कौशल का मूʞांकन:

● परीƗक िकसी Ůासंिगक िवषय पर एक अनुDžे द का ˙ʼ वाचन करेगा। अनुDžे द तȚाȏक या

सुझावाȏक हो सकता है। अनुDžे द लगभग 250 शɨोंका होना चािहए।

या

परीƗक 2-3 िमनट का ŵʩ अंश (ऑिडयो İƑप) सुनवाएगा। अंश रोचक होना चािहए। कȚ

/घटना पूणŊ एवं ˙ʼ होनी चािहए। वाचक का उDŽारण शुȠ, ˙ʼ एवं िवराम िच˥ों के उिचत Ůयोग

सिहत होना चािहए।

● परीƗाथŎ ȯानपूवŊक परीƗक/ऑिडयो İƑप को सुनने के पʮात परीƗक Ȫारा पूछे गए Ůʲों का

अपनी समझ से मौİखक उȅर दŐगे। (1×5 =5)

● िकसी िनधाŊįरत िवषय पर बोलना : िजससे िशƗाथŎ अपने ʩİƅगत अनुभवों का Ůȑा˝रण कर

सकŐ।

● कोई कहानी सुनाना या िकसी घटना का वणŊन करना।

● पįरचय देना।

(ˢ/ पįरवार/ वातावरण/ वˑु/ ʩİƅ/ पयाŊवरण/ किव /लेखक आिद)

परीƗकोंके िलए अनुदेश :-

● परीƗण से पूवŊ परीƗाथŎ को तैयारी के िलए कु छ समय िदया जाए।

● िववरणाȏक भाषा मŐ वतŊमान काल का Ůयोग अपेिƗत है।

● िनधाŊįरत िवषय परीƗाथŎ के अनुभव-जगत के हो।ं

● जब परीƗाथŎ बोलना आरंभ करŐ तो परीƗक कम से कम हˑƗेप करŐ

पįरयोजना का महȕ

● ʩİƅगत ˑर पर खोज, कायŊवाही और ƶारहवीं – बारहवीं कƗा के दौरान अिजŊत ǒान और

कौशल, िवचारों आिद पर िचंतन का उपयोग ।

● सैȠांितक िनमाŊणों और तकŘ का उपयोग करके वाˑिवक दुिनया के पįर̊ʴों का िवʶेषण और

मूʞांकन

● एक ˢतंũ और िवˑाįरत कायŊ का िनमाŊण करने के िलए महȕपूणŊ और रचनाȏक िचंतन, कौशल

और Ɨमताओं के अनुŮयोग का ŮदशŊन

● उन िवषयों पर कायŊ करने का अवसर िजनमŐिशƗािथŊयों की Ŝिच हैI

● नए ǒान की ओर अŤसर

● खोजी Ůवृिȅ मŐवृİȠ

● भाषा ǒान समृȠ एवं ʩावहाįरक

● सम˟ा समाधान की Ɨमता का िवकास

पįरयोजना कायŊिनधाŊįरत करते समय ȯान देने योƶ बातŐ

● पįरयोजना कायŊिशƗािथŊयोंमŐयोƶता आधाįरत Ɨमता को ȯान मŐ रखकर िदए जाएँ िजससे वे िवषय

के साथ जुड़ते Šए उसके ʩावहाįरक पƗ को समझ सकŐ। वतŊमान समय मŐ उसकी Ůासंिगकता पर

भी ȯान िदया जाए।

● सũ के Ůारʁ मŐ ही िशƗािथŊयों को िवषय चुनने का अवसर िमले तािक उसे शोध, तैयारी और लेखन

के िलए पयाŊɑ समय िमल सके ।

● अȯािपका/अȯापक Ȫारा कƗा मŐपįरयोजना-कायŊ को लेकर िवˑारपूवŊक चचाŊ की जाए िजससे

िशƗाथŎ उसके अथŊ, महȕ व ŮिŢया को भली-भाँित समझने मŐसƗम हो सकŐ ।

● िहंदी भाषा और सािहȑ से जुड़े िविवध िवषयों/ िवधाओं/ सािहȑकारों/ समकालीन लेखन/ भाषा के

तकनीकी पƗ/ Ůभाव/ अनुŮयोग/ सािहȑ के सामािजक संदभŘ एवं जीवन-मूʞ संबंधी Ůभावों आिद

पर पįरयोजना कायŊ िदए जाने चािहए।

● िशƗाथŎ को उसकी Ŝिच के अनुसार िवषय का चयन करने के छू ट दी जानी चािहए तथा अȯापक/

अȯािपका को मागŊदशŊक के ŝप मŐ उसकी सहायता करनी चािहए।

● पįरयोजना – कायŊ करते समय िनɻिलİखत आधार को अपनाया जा सकता है-

1. Ůमाण – पũ

2. आभार ǒापन

3. िवषय-सूची

4. उȞेʴ

5. सम˟ा का बयान

6. पįरकʙना

7. ŮिŢया (साƙ संŤह, साƙ का िवʶेषण)

8. Ůˑुतीकरण (िवषय का िवˑार)

9. अȯयन का पįरणाम

10. अȯयन की सीमाएँ

11. ŷोत

12. अȯापक िटɔण

पįरयोजना – कायŊ के कु छ िवषय सुझावाȏक ŝप मŐ िदए जा रहे हœ। भाषा और सािहȑ से जुड़े िविवध िवषयों/ िवधाओं/ सािहȑकारों/ समकालीन लेखन के आधार पर ⮚ िहंदी किवता मŐŮकृ ित िचũण (पाठ – उषा / बगुलों के पंख किवता) ⮚ िविभɄ किवयों की किवताओं का तुलनाȏक अȯयन, ⮚ भाषा शैली, िवशेषताएँ ⮚ वतŊमान के साथ Ůासंिगकता इȑािद। ⮚ भारतीय Ťामीण का जीवन (पाठ – पहलवान की ढोलक) ⮚ आज़ादी से पहले, बाद मŐ तथा वतŊमान मŐİ̾थित ⮚ सुधार की आवʴकताएँ ⮚ आपकी भूिमका/ योगदान/ सुझाव ⮚ समकालीन िवषय जी ɪवɅटȣ और भारत ⮚ भूͧमका – Èया है, Èयɉ है आǑद का ͪववरण ⮚ ͪवͧभÛन देशɉ मɅ Ĥभाव ⮚ भारत के साथ तुलना×मक अÚययन ⮚ कारण और Ǔनवारण ⮚ आपकȧ भूͧमका/ योगदान/ सुझाव उपयुŊƅ िवषय सुझाव के ŝप मŐŮˑुत िकए गए हœ। आप िदशािनदőशों के आधार पर अɊ िवषयों का चयन कर सकते हœ। ŵवण कौशल एवं पįरयोजना कायŊका मूʞांकन िवȨालय ˑर पर आंतįरक परीƗक (िवषय अȯापक) Ȫारा ही िकया जाएगा।